जॉन एलिया: जिसने अपनी बर्बादियों का कभी शोक नहीं मनाया
जॉन को चाहने वाले उन्हें औलिया का दर्जा देते हैं। जॉन की रचनाओं में एक दर्शन है जो उन्हें औरों से ख़ास बनाता है। खुद को अपनी बर्बादी का जिम्मेदार मानना और फिर पूरी दुनिया के सामने उसे बेझिझक कह डालने का साहस जॉन के अलावा शायद ही किसी में हो। 80-90 के दशक के मुशायरों में एक हाथ में जाम, एक हाथ में सिगरेट लेकर जब जॉन स्टेज पर आते थे,तब लोगों की उनके प्रति दीवानगी का नजारा देखने लायक होता था।